संघर्ष
हमारे जीवन में कुछ भी सरल नहीं है. हर व्यक्ति को अपनी मंजिल को पाने
के लिए संघर्ष का सहारा लेना पड़ता है, हालांकि जब जीवन में बुनियादी समस्याएं हो,
तो संघर्ष करने की इच्छा शक्ति को बनाए रखना थोड़ा कठिन होता है.
क्योंकि ऐसे में लक्ष्य के साथ बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के
लिए भी संघर्ष करना पड़ता है. इस तरह से जीवन का संघर्ष दोगुना हो जाता है.
ऐसे में यदि व्यक्ति के
अंदर आंतरिक बल है, पर्याप्त शारीरिक और मानसिक क्षमता है, तो दोगुनी
संघर्ष में भी कोई दिक्कत नहीं आती.
इसके लिए सिर्फ जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण चाहत और लक्ष्य को
पाने की मन में ललक होनी चाहिए.
संघर्ष करने की लगन ही व्यक्ति की लक्ष्य की ओर गति को थमने नहीं देती है,
आशा की किरण को टूटने नहीं देती है,
बल्कि उत्साह, उमंग को निरंतर बढ़ाती है. यही कारण है कि आज देश में
अभाव के अंधेरों के बीच भी
सफलता की रोशन राहैं निकल रही है.
संतो के बीच जीवन जीकर मुकाम बनाना ही सब कुछ नहीं है, बल्कि
अभावों के बीच जीवन जीना
भी जरूरी है . तभी जीवन के सही मर्म का पता चलता है. अगर जीवन में
संघर्ष ना हो, तो मनुष्य के
व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है. बिना कड़ी मेहनत के जो
सफलता पाई जाती है,
वह महत्वहीन होती है. परिस्थितियों से जूझते हुए ,कठिनाइयों से लड़ते हुए
यदि, हिम्मत न हारी जाए तो
सफलता रूपी मंजिल जरूर मिलती है. चुनौतियों से लड़ते हुए, संघर्ष करते
हुए व्यक्ति की जीवात्मा के
ऊपर छाया हुआ अंधेरा mitata है और जीवन प्रकाशमान हो उठता है.
संघर्ष हमारे जीवन का सबसे बड़ा वरदान है यह में सहनशील और
संवेदनशील बनाता है
और साथ ही हमें यही सिखाता है कि भले ही यह संसार दुखों से भरा हुआ है,
लेकिन उन दुखों
पर काबू पाने के तरीके भी अनेको हैं . इसी प्रकार जॉन ढीले में के अनुसार
संघर्ष की
चाबी जीवन के सभी बंद दरवाजे खोल देती है और आगे बढ़ाने के लिए नए
रास्ते भी प्रशस्त करती है.
इस तरह संघर्ष की तपन मनुष्य के जीवन को चमकती है. सफलता की इमारत
संघर्ष की नींव पर ही खड़ी होती है.
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